Daily Murli Brahma Kumaris Hindi – 11 April 2020
11/04/2020 प्रात:मुरली ओम् शान्ति
"बापदादा" मधुबन
BK Murli is available to 'read' and to 'listen' Daily Murli in Hindi and English.'' Om Shanti. Shiv baba ke madhur Mahavakya. Brahma Kumaris BaapDada ki murli. Bk Murli Audio recorded by service team of sisters of bkdrluhar.com website
"मीठे बच्चे - वैजयन्ती माला में आने
के लिए निरन्तर बाप को याद करो, अपना टाइम वेस्ट मत करो, पढ़ाई पर पूरा - पूरा
ध्यान दो"
प्रश्नः-
बाप अपने बच्चों से कौन-सी एक
रिक्वेस्ट करते हैं?
उत्तर:-
मीठे बच्चे, बाप रिक्वेस्ट करते हैं -
अच्छी रीति पढ़ते रहो। बाप के दाढ़ी की लाज़ रखो। ऐसा कोई गंदा काम मत करो जिससे
बाप का नाम बदनाम हो। सत बाप, सत शिक्षक, सतगुरू की कभी निंदा मत कराओ। प्रतिज्ञा
करो - जब तक पढ़ाई है तब तक पवित्र जरूर रहेंगे।
गीत:-
तुम्हें पाके हमने जहाँ पा लिया
है.........
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Brahma Kumaris Murli 11 April 2020 (HINDI) |
ओम् शान्ति
यह किन्होंने कहा कि तुम्हें पाकर सारे
जहान की राजाई पाते हैं? अभी तुम स्टूडेन्ट भी हो तो बच्चे भी हो। तुम जानते हो
बेहद का बाप हम बच्चों को विश्व का मालिक बनाने के लिए आये हैं। उनके सामने हम
बैठे हैं और हम राजयोग सीख रहे हैं अर्थात् विश्व का क्राउन प्रिन्स-प्रिन्सेज
बनने तुम यहाँ पढ़ने आये हो अथवा पढ़ते हो। यह गीत तो भक्ति मार्ग का गाया हुआ है।
बुद्धि से बच्चे जानते हैं हम विश्व के महाराजा-महारानी बनेंगे। बाप है ज्ञान का
सागर, सुप्रीम रूहानी टीचर रूहों को बैठ पढ़ाते हैं। आत्मा इन शरीर रूपी
कर्मेन्द्रियों द्वारा जानती है कि हम बाप से विश्व क्राउन प्रिन्स-प्रिन्सेज बनने
के लिए पाठशाला में बैठे हैं। कितना नशा होना चाहिए। अपनी दिल से पूछो - इतना नशा
हम स्टूडेन्ट में है? यह कोई नई बात भी नहीं है। हम कल्प-कल्प विश्व के क्राउन
प्रिन्स और प्रिन्सेज बनने के लिए बाप के पास आये हैं। जो बाप, बाप भी है, टीचर भी
है। बाप पूछते हैं तो सभी कहते हैं हम तो सूर्यवंशी क्राउन प्रिन्स-प्रिन्सेज वा
लक्ष्मी-नारायण बनेंगे। अपनी दिल से पूछना चाहिए हम ऐसा पुरूषार्थ करते हैं? बेहद
का बाप जो स्वर्ग का वर्सा देने आये हैं, वह हमारा बाप-टीचर-गुरू भी हैं तो जरूर
वर्सा भी इतना ऊंच ते ऊंच देंगे। देखना चाहिए हमको इतनी खुशी है कि हम आज पढ़ते
हैं, कल क्राउन प्रिन्स बनेंगे? क्योंकि यह संगम है ना। अभी इस पार हो, उस पार
स्वर्ग में जाने के लिए पढ़ते हो। वहाँ तो सर्वगुण सम्पन्न, 16 कला सम्पन्न बनकर
ही जायेंगे। हम ऐसे लायक बने हैं - अपने से पूछना होता है। एक नारद भगत की बात
नहीं है। तुम सब भक्त थे, अब बाप भक्ति से छुड़ाते हैं। तुम जानते हो हम बाप के
बच्चे बने हैं उनसे वर्सा लेने, विश्व का क्राउन प्रिन्स बनने आये हो। बाप कहते
हैं भल अपने गृहस्थ व्यवहार में रहो। वानप्रस्थ अवस्था वालों को गृहस्थ व्यवहार
में नहीं रहना होता और कुमार-कुमारियाँ भी गृहस्थ व्यवहार में नहीं हैं। उन्हों की
भी स्टूडेन्ट लाइफ है। ब्रह्मचर्य में ही पढ़ाई पढ़ते हैं। अब यह पढ़ाई है बहुत
ऊंच, इसमें पवित्र बनना है हमेशा के लिए। वह तो ब्रह्मचर्य में पढ़कर फिर विकार
में जाते हैं। यहाँ तुम ब्रह्मचर्य में रहकर पूरी पढ़ाई पढ़ते हो। बाप कहते हैं हम
पवित्रता का सागर हैं, तुमको भी बनाते हैं। तुम जानते हो आधाकल्प हम पवित्र रहते
थे। बरोबर बाप से प्रतिज्ञा की थी - बाबा हम क्यों नहीं पवित्र बन और पवित्र
दुनिया का मालिक बनेंगे। कितना बड़ा बाप है, भल है साधारण तन, परन्तु आत्मा को नशा
चढ़ता है ना। बाप आये हैं पवित्र बनाने। कहते हैं तुम विकार में जाते-जाते
वेश्यालय में आकर पड़े हो। तुम सतयुग में पवित्र थे, यह राधे-कृष्ण पवित्र
प्रिन्स-प्रिन्सेज हैं ना। रुद्र माला भी देखो, विष्णु की माला भी देखो। रुद्र
माला सो विष्णु की माला बनेगी। वैजयन्ती माला में आने के लिए बाप समझाते हैं -
पहले तो निरन्तर बाप को याद करो, अपना टाइम वेस्ट मत करो। इन कौड़ियों पिछाड़ी
बन्दर मत बनो। बन्दर चने खाते हैं। अभी तुमको बाप रत्न दे रहे हैं। फिर कौड़ियों
अथवा चने पिछाड़ी जायेंगे तो क्या हाल होगा! रावण की कैद में चले जायेंगे। बाप आकर
रावण की कैद से छुड़ाते हैं। कहते हैं देह सहित देह के सब सम्बन्धों से बुद्धि का
त्याग करो। अपने को आत्मा निश्चय करो। बाप कहते हैं मैं कल्प-कल्प भारत में ही आता
हूँ। भारतवासी बच्चों को विश्व का क्राउन प्रिन्स-प्रिन्सेज बनाता हूँ। कितना सहज
पढ़ाते हैं, ऐसे भी नहीं कहते कोई 4-8 घण्टा आकर बैठो। नहीं, गृहस्थ व्यवहार में
रहते अपने को आत्मा समझ मुझे याद करो तो तुम पतित से पावन बन जायेंगे। विकार में
जाने वाले को पतित कहा जाता है। देवतायें पावन हैं इसलिए उन्हों की महिमा गाई जाती
है। बाप समझाते हैं वह है अल्पकाल क्षण भंगुर का सुख। संन्यासी ठीक कहते हैं कि
काग विष्टा समान सुख है। परन्तु उनको यह पता नहीं कि देवताओं को कितना सुख है। नाम
ही सुखधाम है। यह है दु:खधाम। इन बातों का दुनिया में किसको भी पता नहीं। बाप ही
आकर कल्प-कल्प समझाते हैं, देही-अभिमानी बनाते हैं। अपने को आत्मा समझो। तुम आत्मा
हो, न कि देह। देह के तुम मालिक हो, देह तुम्हारी मालिक नहीं। 84 जन्म लेते-लेते
अब तुम तमोप्रधान बन गये हो। तुम्हारी आत्मा और शरीर दोनों पतित बने हैं।
देह-अभिमानी बनने से तुम्हारे से पाप हुए हैं। अब तुमको देही-अभिमानी बनना है।
मेरे साथ वापिस घर चलना है। आत्मा और शरीर दोनों को शुद्ध बनाने के लिए बाप कहते
हैं मनमनाभव। बाप ने तुमको रावण से आधाकल्प फ्रीडम दिलाई थी, अब फिर फ्रीडम दिला
रहे हैं। आधाकल्प तुम फ्रीडम राज्य करो। वहाँ 5 विकारों का नाम नहीं। अब श्रीमत पर
चल श्रेष्ठ बनना है। अपने से पूछो - हमारे में विकार कहाँ तक हैं? बाप कहते हैं एक
तो मामेकम् याद करो और कोई लड़ाई झगड़ा भी नहीं करना है। नहीं तो तुम पवित्र कैसे
बनेंगे। तुम यहाँ आये ही हो पुरुषार्थ कर माला में पिरोने। नापास होंगे तो फिर
माला में पिरो नहीं सकेंगे। कल्प-कल्प की बादशाही गँवा देंगे। फिर अन्त में बहुत
पछताना पड़ेगा। उस पढ़ाई में भी रजिस्टर रहता है। लक्षण भी देखते हैं। यह भी पढ़ाई
है, सुबह को उठकर तुम आपेही यह पढ़ो। दिन में तो कर्म करना ही है। फुर्सत नहीं
मिलती है तो भक्ति भी मनुष्य सवेरे उठकर करते हैं। यह तो है ज्ञान मार्ग। भक्ति
में भी पूजा करते-करते फिर बुद्धि में कोई न कोई देहधारी की याद आ जाती है। यहाँ
भी तुम बाप को याद करते हो फिर धंधा आदि याद आ जाता है। जितना बाप की याद में
रहेंगे उतना पाप कटते जायेंगे।
तुम बच्चे जब पुरुषार्थ करते-करते
बिल्कुल पवित्र बन जायेंगे तब यह माला बन जायेगी। पूरा पुरुषार्थ नहीं किया तो
प्रजा में चले जायेंगे। अच्छी रीति योग लगायेंगे, पढ़ेंगे, अपना बैग-बैगेज भविष्य
के लिए ट्रांसफर कर देंगे तो रिटर्न में भविष्य में मिल जायेगा। ईश्वर अर्थ देते
हैं तो दूसरे जन्म में उसका रिटर्न मिलता है ना। अब बाप कहते हैं मैं डायरेक्ट आता
हूँ। अभी तुम जो कुछ करते हो सो अपने लिए। मनुष्य दान-पुण्य करते हैं वह है
इनडायरेक्ट। इस समय तुम बाप को बहुत मदद करते हो। जानते हो यह पैसे तो सब खत्म हो
जायेंगे। इससे अच्छा क्यों न बाप को मदद करें। बाप राजाई कैसे स्थापन करेंगे। न
कोई लश्कर वा सेना आदि है, न हथियार आदि हैं। सब कुछ है गुप्त। कन्या को दहेज
कोई-कोई गुप्त देते हैं। पेटी बंद कर चाबी हाथ में दे देते हैं। कोई बहुत शो करते
हैं, कोई गुप्त देते हैं। बाप भी कहते हैं तुम सजनियाँ हो, तुमको हम विश्व का
मालिक बनाने आया हूँ। तुम गुप्त मदद करते हो। यह आत्मा जानती है, बाहर का भभका कुछ
नहीं है। यह है ही विकारी पतित दुनिया। सृष्टि की वृद्धि होनी ही है। आत्माओं को
आना है जरूर। जन्म तो और ही जास्ती होने हैं। कहते भी हैं इस हिसाब से अनाज पूरा
नहीं होगा। यह है ही आसुरी बुद्धि। तुम बच्चों को अब ईश्वरीय बुद्धि मिली है।
भगवान पढ़ाते हैं तो उनका कितना रिगार्ड रखना चाहिए। कितना पढ़ना चाहिए। कई बच्चे
हैं जिन्हें पढ़ाई का शौक नहीं है। तुम बच्चों को यह तो बुद्धि में रहना चाहिए ना
- हम बाबा द्वारा क्राउन प्रिन्स-प्रिन्सेज बन रहे हैं। अब बाप कहते हैं मेरी मत
पर चलो, बाप को याद करो। घड़ी-घड़ी कहते हैं हम भूल जाते हैं। स्टूडेन्ट कहें हम
शब्क (पाठ) भूल जाते हैं, तो टीचर क्या करेंगे! याद नहीं करेंगे तो विकर्म विनाश
नहीं होंगे। क्या टीचर सब पर कृपा वा आशीर्वाद करेंगे कि यह पास हो जाए। यहाँ यह
आशीर्वाद कृपा की बात नहीं। बाप कहते हैं पढ़ो। भल धंधा आदि करो, परन्तु पढ़ना
जरूरी है। तमोप्रधान से सतोप्रधान बनो, औरों को भी रास्ता बताओ। दिल से पूछना
चाहिए हम बाप की खिदमत में कितना हैं? कितनों को आप-समान बनाते हैं? त्रिमूर्ति
चित्र तो सामने रखा है। यह शिवबाबा है, यह ब्रह्मा है। इस पढ़ाई से यह बनते हैं।
फिर 84 जन्म के बाद यह बनेंगे। शिवबाबा ब्रह्मा तन में प्रवेश कर ब्राह्मणों को यह
बना रहे हैं। तुम ब्राह्मण बने हो। अब अपनी दिल से पूछो हम पवित्र बने हैं?
दैवीगुण धारण करते हैं? पुरानी देह को भूले हैं? यह तो पुरानी जुत्ती है ना। आत्मा
पवित्र बन जायेगी तो जुत्ती भी फर्स्टक्लास मिलेगी। यह पुराना चोला छोड़ नया चोला
पहनेंगे, यह चक्र फिरता रहता है। आज पुरानी जुत्ती में हैं, कल यह देवता बनना
चाहते हैं। बाप द्वारा भविष्य आधाकल्प लिए विश्व का क्राउन प्रिन्स बनते हैं।
हमारी उस राजाई को कोई भी छीन नहीं सकेंगे। तो बाप की श्रीमत पर चलना चाहिए ना।
अपने से पूछो हम कितना याद करते हैं? कितना स्वदर्शन चक्रधारी बनते और बनाते हैं?
जो करेगा सो पायेगा। बाप रोज़ पढ़ाते हैं। सबके पास मुरली जाती है। अच्छा, न भी
मिले, 7 रोज़ का कोर्स तो मिल गया ना, बुद्धि में नॉलेज आ गई। शुरू में तो भट्ठी
बनी फिर कोई पक्के, कोई कच्चे निकल पड़े क्योंकि माया का तूफान भी तो आता है ना।
6-8 मास पवित्र बन फिर देह-अभिमान में आकर अपना घात कर लेते हैं। माया बड़ी दुश्तर
है। आधा कल्प माया से हार खाई है। अभी भी हार खायेंगे तो अपना पद गँवा देंगे।
नम्बरवार मर्तबे तो बहुत हैं ना। कोई राजा-रानी, कोई वजीर, कोई प्रजा, कोई को
हीरे-जवाहरों के महल। प्रजा में भी कोई बहुत साहूकार होते हैं। हीरे-जवाहरों के
महल होते हैं, यहाँ भी देखो प्रजा से कर्ज उठाते हैं ना। तो प्रजा साहूकार ठहरी या
राजा? अन्धेर नगरी. . . . यह अभी की बातें हैं। अब तुम बच्चों को यह निश्चय रहना
चाहिए कि हम विश्व का क्राउन प्रिन्स बनने के लिए पढ़ते हैं। हम बैरिस्टर वा
इन्जीनियर बनेंगे, यह कभी स्कूल में भूल जाते हैं क्या! कई तो चलते-चलते माया के
तूफान लगने से पढ़ाई भी छोड़ देते हैं।
बाप अपने बच्चों से एक रिक्वेस्ट करते
हैं - मीठे बच्चे, अच्छी रीति पढ़ो तो अच्छा पद पायेंगे। बाप के दाढ़ी की लाज़
रखो। तुम ऐसा गंदा काम करेंगे तो नाम बदनाम कर देंगे। सत बाप, सत टीचर, सतगुरू की
निंदा कराने वाले ऊंच पद पा नहीं सकेंगे। इस समय तुम हीरे जैसा बनते हो तो
कौड़ियों पिछाड़ी थोड़ेही पड़ना चाहिए। बाबा को साक्षात्कार हुआ और झट कौड़ियों को
छोड़ दिया। अरे, 21 जन्म लिए बादशाही मिलती है फिर यह क्या करेंगे! सब दे दिया। हम
तो विश्व की बादशाही ले लेते हैं। यह भी जानते हो विनाश होना है। अब नहीं पढ़ा तो
टू लेट हो जायेंगे, पछताना पड़ेगा। बच्चों को सब साक्षात्कार हो जायेगा। बाप कहते
हैं तुम बुलाते भी हो कि हे पतित-पावन आओ। अब मैं पतित दुनिया में तुम्हारे लिए
आया हूँ और तुमको कहता हूँ पावन बनो। तुम फिर घड़ी-घड़ी गंद में गिरते हो। मैं तो
कालों का काल हूँ। सबको ले जाऊंगा। स्वर्ग में जाने के लिए बाप आकर रास्ता बताते
हैं। नॉलेज देते हैं कि यह सृष्टि चक्र कैसे फिरता है। यह है बेहद की नॉलेज।
जिन्होंने कल्प पहले पढ़ा है वही आकर पढ़ेंगे, वह भी साक्षात्कार होता रहता है।
निश्चय हो जाए कि बेहद का बाप आये हैं, जिस भगवान से मिलने के लिए इतनी भक्ति की
वह यहाँ आकर पढ़ा रहे हैं। ऐसे भगवान बाप से हम मुलाकात तो करें। कितना हुल्लास
खुशी से भागकर आए मिलें, अगर पक्का निश्चय हो तो। ठगी की बात नहीं। ऐसे भी बहुत
हैं पवित्र बनते नहीं, पढ़ते नहीं, बस चलो बाबा के पास। ऐसे ही घूमने-फिरने भी आ
जाते हैं। बाप बच्चों को समझाते हैं - तुम बच्चों को गुप्त अपनी राजधानी स्थापन
करनी है। पवित्र बनेंगे तो तमोप्रधान से सतोप्रधान बनेंगे। यह राजयोग बाप ही
सिखलाते हैं। बाकी वह तो हैं हठयोगी। बाप कहते हैं अपने को आत्मा समझ मुझ बाप को
याद करो। यह नशा रखो - हम बेहद के बाप से विश्व का क्राउन प्रिन्स बनने आये हैं
फिर श्रीमत पर चलना चाहिए। माया ऐसी है जो बुद्धि का योग तोड़ देती है। बाप समर्थ
है, तो माया भी समर्थ है। आधाकल्प है राम का राज्य, आधा कल्प है रावण का राज्य। यह
भी कोई नहीं जानते हैं। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति
मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को
नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सदा नशा रहे कि हम आज पढ़ते हैं कल
क्राउन प्रिन्स-प्रिन्सेज बनेंगे। अपनी दिल से पूछना है - हम ऐसा पुरुषार्थ करते
हैं? बाप का इतना रिगार्ड है? पढ़ाई का शौक है?
2) बाप के कर्तव्य में गुप्त मददगार
बनना है। भविष्य के लिए अपना बैग-बैगेज ट्रांसफर कर देना है। कौड़ियों के पीछे समय
न गँवाकर हीरे जैसा बनने का पुरुषार्थ करना है।
वरदान:-
सन्तुष्टता की विशेषता द्वारा सेवा में
सफलतामूर्त बनने वाले सन्तुष्टमणी भव
सेवा का विशेष गुण सन्तुष्टता है। यदि
नाम सेवा हो और स्वयं भी डिस्टर्ब हो व दूसरों को भी डिस्टर्ब करे तो ऐसी सेवा न
करना अच्छा है। जहाँ स्वयं के प्रति वा सम्पर्क वालों से सन्तुष्टता नहीं वह सेवा
न स्वयं को फल की प्राप्ति कराती है न दूसरों को इसलिए पहले एकान्तवासी बन स्व
परिवर्तन द्वारा सन्तुष्टमणी का वरदान प्राप्त कर फिर सेवा में आओ तब सफलतामूर्त
बनेंगे।
स्लोगन:-
विघ्नों रूपी पत्थर को
तोड़ने में समय न गंवाकर उसे हाई जम्प देकर पार करो।
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